हिंदी-विभाग:
हिंदी-विभाग कला संकाय का एक अति विशिष्ट तथा ऊर्जावान विभाग है I हिंदी-विभाग के स्नातक कक्षा की स्थापना महाविद्यालय की स्थापना के साथ ही सन 1960 में हो गई थी, किन्तु परास्नातक स्तर की कक्षाओं का शुभारम्भ सन 1967 से हुआ I इस विभाग के प्रथम अध्यक्ष महाविद्यालय के संस्थापक स्व0 जगपत सिंह जी स्वयं रहे, जिनका कार्यकाल 1960 से 1964 के मध्य रहा I वे स्वयं 1964 से लेकर 1974 तक कालेज के प्राचार्य रहे, बाद में प्रबन्धक के रूप में सन 2004 तक अपनी सेवाएं प्रदान की I इसी क्रम में, डॉक्टर विशम्भर सिंह भदौरिया ( सन 1964 से 1974 तक ), डॉक्टर विशम्भर दयाल अवस्थी ( सन 1974 से 1998 तक ) एवं डॉक्टर वेद प्रकाश ( सन 1998 से 2009 तक ) आदि की सेवाएं अध्यक्ष के रूप में अत्यंत प्रशंसनीय रहीं I डॉक्टर विशम्भर दयाल अवस्थी उन भूर्धन्य विद्वानो में से थे, जिन्होंने धर्म, दर्शन व भक्ति पर आधारित 08 पुस्तकें लिखीं I इनमें अधिकांश पुस्तकें उत्तरप्रदेश हिंदी संसथान, उत्तरप्रदेश संस्कृत अकादमी तथा विहार सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत हैं I डॉक्टर ओंकार प्रसाद त्रिपाठी जिनका कार्यकाल सन 1970 से 1995 के मध्य रहा, प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य थे I इसके आलावा डॉक्टर हरीश चन्द्र निगम, डॉक्टर शशिकांत अग्निहोत्री, डॉक्टर महावीर सिंह तथा डॉक्टर गीर्वाणदत्त मिश्र का कार्यकाल भी प्रशंसनीय रहा I
हिन्दी-विभाग में कुल 07 पद स्वीकृत है, जिनमे डॉक्टर जी0पी0 यादव एसोसिएट प्रोफेसर, डॉक्टर बालेश्वर प्रसाद असिस्टेंट प्रोफेसर तथा डॉक्टर गीता द्विवेदी असिस्टेंट प्रोफेसर स्थाई रूप से कार्यरत हैं, तथा शेष अंशकालिक रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं I यहाँ एक शोध केंद्र भी है, जिसमे विश्वविद्यालय द्वारा चयनित शोधार्थियों का शोध निर्देशन कार्य अनवरत चलता रहता है, वर्तमान में विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर जी0पी0 यादव के निर्देशन में अनेक शोधार्थी शोधरत हैं I उनके द्वारा लिखित एवं प्रकाशित पुस्तक समकालीन कविता में सौन्दर्य वोध का मूल्यांकन ( प्रकाशन वर्ष 2017 ) शोधार्थियों के लिए नितांत उपयोगी हैं I विभाग के सभी प्राध्यापक कुशल शिल्पी एवं रचनाधर्मी भी हैं I विभाग के सभी प्राध्यापक मिल-जुलकर विभाग को शैक्षणिक द्रष्टि से ऊँचाई पर ले जाने के लिए अनवरत प्रयासरत हैं I
